Reuters की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि जोमाटो ने कमीशन में कमी कर कुछ ‘एक्सक्लूसिविटी कॉन्ट्रैक्ट’ किए थे, जबकि स्विगी ने केवल उसके प्लेटफॉर्म पर लिस्टेड कुछ रेस्टोरेंट्स को बिजनेस में बढ़ोतरी की गारंटी दी थी। CCI की ओर से तैयार किए गए गैर-सार्वजनिक दस्तावेजों में कहा गया है कि स्विगी, जोमाटो और उनके कुछ रेस्टोरेंट पार्टनर्स के बीच इस तरह के कॉन्ट्रैक्ट्स से मार्केट के अधिक प्रतिस्पर्धी बनने में रुकावट होती है। इन दस्तावेजों को Reuters ने देखा है। कॉम्पिटिशन के खिलाफ बिजनेस के तरीकों को लेकर यह जांच CCI ने लगभग दो वर्ष पहले शुरू की थी। यह जांच नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया की एक शिकायत के बाद की गई थी।
CCI के इन दस्तावेजों को सार्वजनिक नहीं किया गया है। ये दस्तावेज स्विगी, जोमाटो और शिकायत करने वाली रेस्टोरेंट एसोसिएशन के साथ इस वर्ष मार्च में साझा किए गए थे। इस बारे में जोमाटो ने कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया। स्विगी और CCI ने Reuters की ओर से भेजे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया। स्विगी की ओर से इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) के लिए प्रॉस्पेक्टस में इस मामले का संदर्भ ‘आंतरिक रिस्क’ के तौर पर दिया गया है। CCI की रिपोर्ट में कहा गया है कि स्विगी ने जांचकर्ताओं को बताया है कि एक्सक्लूसिव कॉन्ट्रैक्ट वाला यह प्रोग्राम पिछले वर्ष समाप्त हो गया था। हालांकि, स्विगी गैर-मेट्रोपॉलिटन शहरों में इस तरह का एक प्रोग्राम शुरू करने की योजना बना रही है।
पिछले कुछ वर्षों में स्विगी और जोमाटो ने रेस्टोरेंट से फूड ऑर्डर करने के तरीके में बड़ा बदलाव किया है। इन कंपनियों के ऐप्स पर हजारों रेस्टोरेंट्स की लिस्टिंग है। इस जांच में पाया गया था कि जोमाटो ने अपने प्लेटफॉर्म पर लिस्टिंग वाले रेस्टोरेंट्स पर प्राइसिंग और डिस्काउंट को लेकर पाबंदियां लगाई थी। कुछ मामलों में रेस्टोरेंट के इन पाबंदियों का पालन करने में नाकाम रहने पर ‘जुर्माना’ लगाने का भी प्रावधान था।
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