इन कंपनियों का कहना है कि वे देश के कानूनों का पालन करती हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से ED इन कंपनियों के खिलाफ आरोपों की जांच कर रहा है। इन कंपनियों पर चुनिंदा सेलर्स के जरिए गुड्स की इन्वेंटरी पर नियंत्रण करने का आरोप है। देश के कानून के तहत, विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी वेबसाइट के जरिए बिक्री वाले प्रोडक्ट्स की इन्वेंटरी नहीं रख सकती और ये केवल सेलर्स के एक मार्केटप्लेस के तौर पर ऑपरेट कर सकती हैं। पिछले सप्ताह ED ने एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के कुछ सेलर्स पर छापा मारा था। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र ने बताया कि ED की इन कंपनियों के एग्जिक्यूटिव्स को समन भेजने की तैयारी है।
इस सरकारी सूत्र ने बताया कि ED के छापों में जब्त किए गए दस्तावेजों से यह सबूत मिला है कि इन कंपनियों ने विदेशी निवेश से जुड़े कानून का उल्लंघन किया है। इन सेलर्स से मिले डेटा के विश्लेषण के साथ ही पिछले कुछ वर्षों में ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ उनकी डीलिंग्स की भी जांच की जाएगी। फ्लिपकार्ट की मालिक अमेरिका की बड़ी रिटेल कंपनी Walmart है।
इस बारे में एमेजॉन, फ्लिपकार्ट और ED ने Reuters की ओर से भेजे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया। देश के लगभग 70 अरब डॉलर के ई-कॉमर्स मार्केट में एमेजॉन और फ्लिपकार्ट की बड़ी हिस्सेदारी है। Datum Intelligence के अनुमान के अनुसार, पिछले वर्ष इस मार्केट में फ्लिपकार्ट की हिस्सेदारी लगभग 32 प्रतिशत और एमेजॉन की लगभग 24 प्रतिशत की थी। इन कंपनियों के खिलाफ कॉम्पिटिशन से जुड़े कानून के उल्लंघन की जांच में यह पाया गया है कि ये इन्वेंटरी पर पूरा नियंत्रण रखती हैं। इनके बहुत से सेलर्स का दिखावे के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस मामले की जानकारी रखने वाले दो अन्य सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताह एमेजॉन के कम से कम दो सेलर्स और फ्लिपकार्ट के चार सेलर्स के परिसरों पर छापा मारा गया था।
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