कार एक्सपोर्ट में जापानी कंपनियों की 88% हिस्सेदारी.भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी 2% से भी कम.एक्सपोर्ट में हैचबैक और सेडान कारें आगे.
नई दिल्ली. कार कंपनियों की बिक्री की एक बड़ी संख्या एक्सपोर्ट से आती है. भारत में ऐसी कई कार कंपनियां हैं जो हर साल लाखों की संख्या में कारें एक्सपोर्ट करती हैं. बीते वित्त वर्ष 2023-24 की बात करें तो पैसेंजर कारों का एक्सपोर्ट 6,71,756 यूनिट्स का रहा. लेकिन पैसेंजर वाहनों (कार) के एक्सपोर्ट में सबसे बड़ी हिस्सेदारी सिर्फ दो कंपनियों की है और ये कंपनियां भारत में सबसे ज्यादा कारें भी बेच रही है. वहीं इनकी तुलना में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी बहुत मामूली है.
हम बात कर रहे हैं भारत में पैसेंजर कारों की दो सबसे बढ़ी निर्माता मारुति सुजुकी और हुंडई की. आंकड़ों पर गौर करें तो लंबे समय से जापान और कोरिया की कार कंपनियां एक्सपोर्ट के मामले में आगे हैं. भारत में कारों की सेल के अलावा इनका एक्सपोर्ट मार्केट पर भी कब्जा है. वहीं इन कंपनियों ने हर तरह के बॉडी स्टाइल (हैचबैक, सेडान, एसयूवी) में कार एक्सपोर्ट करके भारत से बाहर के बाजारों में भी अच्छी पकड़ हासिल कर ली है.
कार एक्सपोर्ट में जापानी कंपनियों का जलवा
भारत से कार एक्सपोर्ट में विदेशी कंपनियों की हिस्सेदारी 98% है, जबकि केवल जापानी और कोरियाई कंपनियों की हिस्सेदारी 88 फीसदी तक है. इनमें भी मारुति सुजुकी और हुंडई सबसे ज्यादा कारें एक्सपोर्ट करती हैं. एक्सपोर्ट की बात करें तो भारत से कुल निर्यात होने वाली कारों में मारुति सुजुकी की हिस्सेदारी 42%, हुंडई की 24%, किआ की 8%, हौंडा की 6% और निसान की 6% है. वहीं जर्मन कंपनी फॉक्सवैगन भी 6% का योगदान दे रही है. वहीं, भारतीय कंपनियां एक्सपोर्ट के मामले में काफी पीछे हैं. टाटा और महिंद्रा जैसी बड़ी भारतीय कार निर्माताओं की एक्सपोर्ट में हिस्सेदारी महज 1.6% और 0.4% ही है.
एक्सपोर्ट में मारुति बलेनो का जलवा
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत से सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट होने वाली कार मारुति सुजुकी बलेनो थी, जिसकी 57,738 यूनिट्स एक्सपोर्ट की गई थीं. बलेनो के बाद दूसरे नंबर पर हुंडई वरना थी. सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट होने वाली कारों में मारुति डिजायर, निसान सनी, फॉक्सवैगन वर्टस, हुंडई औरा, हुंडई ग्रैंड आई10, मारुति स्विफ्ट, मारुति एक्स-प्रेसो, मारुति सेलेरियो और हुंडई आई20 जैसी कारें सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट हुईं थीं.
एक्सपोर्ट होने वाली कारों में सेडान 35% और हैचबैक 30% थीं, जबकि इनमें 98% करें पेट्रोल से चलने वाली थीं. एक्सपोर्ट होने वाली कारों में निसान सनी और महिंद्रा केयूवी 100 दोनों ऐसी कारें थीं जिनको केवल एक्सपोर्ट के लिए बनाया जा रहा था. इनकी बिक्री घरेलू बाजार में नहीं हो रही है.
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FIRST PUBLISHED : June 16, 2024, 09:09 IST