बीते हफ्ते इंटरनल तौर पर हुई डील के तहत Tata इसमें 60 प्रतिशत हिस्सेदारी रखेगा और ज्वाइंट वेंचर के तहत ऑपरेशन संभालेगा, जबकि Pegatron बाकी हिस्सेदारी रखेगा और टेक्निकल सपोर्ट प्रदान करेगा, जिसकी जानकारी दो सूत्रों ने दी (जिन्होंने नाम बताने से इनकार कर दिया क्योंकि जानकारी अभी तक पब्लिक नहीं हुई है।) सूत्रों ने डील की फाइनेंशियल कंडीशन के बारे में विस्तार से नहीं बताया। इस पर टाटा ग्रुप ने कोई टिप्पणी नहीं की है, वहीं Apple और Pegatron ने रविवार को रॉयटर्स के सवालों का जवाब नहीं दिया। रॉयटर्स ने सबसे पहले अप्रैल में रिपोर्ट जानकारी की थी कि Pegatron को Apple का सपोर्ट मिला है। वह भारत में अपने इकलौते आईफोन प्लांट को टाटा को बेचने के लिए बातचीत कर रहा है।
बीजिंग और वाशिंगटन के बीच जियो पॉलिटकल तनाव के बीच Apple चीन के अलावा अपनी सप्लाई सीरीज में बढ़ोतरी करने पर विचार कर रहा है। Tata के लिए चेन्नई Pegatron प्लांट उसके iPhone मैन्युफैक्चरिंग प्लान को बढ़ावा देगा। टाटा iPhone मैन्युफैक्चरिंग में तेजी से विस्तार कर रहा है और भारत में ऑपरेशनल इकलौते अन्य iPhone कॉन्ट्रैक्ट निर्माता Foxconn को टक्कर दे रहा है। दोनों कंपनियां आने वाले दिनों में CCI की मंजूरी के लिए अप्लाई करने का प्लान बना रही हैं।
Tata पहले से ही कर्नाटक में एक आईफोन एसेंबली प्लांट चला रहा है, जिसे उसने बीते साल ताइवान के Wistron से लिया था। इसके अलावा तमिलनाडु के होसुर में भी एक और प्लान बना रहा है, जहां इसका एक आईफोन कंपोनेंट प्लांट भी है। आपको बता दें कि भारत की इस साल कुल आईफोन शिपमेंट में 20-25 प्रतिशत की हिस्सेदारी रहेगी जो कि बीते साल 12-14 प्रतिशत था। टाटा-पेगाट्रॉन प्लांट में लगभग 10 हजार कर्मचारी हैं, जिसमें सालाना 5 मिलियन iPhone बनते हैं, भारत में Tata की तीसरी आईफोन फैक्ट्री होगी।
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