NY Post की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष अगस्त में एक बैंक हॉलिडे के दिन फ्लाइट प्रोसेसिंग सिस्टम ब्रेकडाउन से इस समस्या की शुरुआत हुई थी। इससे बहुत सी फ्लाइट्स को कैंसल करना पड़ा था और बड़ी संख्या में ट्रैवलर्स घंटों तक एयरपोर्ट्स पर फंसे रहे थे। कुछ इंजीनियर्स के उस दिन वर्क-फ्रॉम-होम पर होने के कारण यह समस्या बढ़ गई थी। इस मामले की जांच में पता चला था कि इस समस्या का समाधान करने में हुई देरी का बड़ा कारण वर्क-फ्रॉम-होम वाले एक इंजीनियर के पासवर्ड क्रेडेंशियल्स को ऑथेंटिकेट करने में हुई कठिनाई थी।
इससे पूरे ब्रिटेन में फ्लाइट्स का संचालन लगभग रुक गया था नेशनल एयर ट्रैफिक सर्विसेज (NATS) ने कॉल पर एक लेवल 2 इंजीनियर की व्यवस्था की थी। वह एक व्यस्त दिन था और NATS के ऑफिस में मौजूद लेवल 1 इंजीनियर ने सुबह लगभग साढ़े आठ बजे सिस्टम के नाकम होने पर इस समस्या के समाधान की कोशिश शुरू कर दी थी। इस इंजीनियर को इसमें सफलता नहीं मिली क्योंकि सीनियर टेक्निकल सपोर्ट इंजीनियर रिमोट तरीके से कार्य कर रहा था। इस सीनियर इंजीनियर की अपने कंप्यूटर में लॉग-इन कर समस्या का समाधान करने की कोशिश में देरी हुई क्योंकि वह पासवर्ड ऑथेंटिकेशन में मुश्किल की वजह से सिस्टम का एक्सेस हासिल नहीं कर सका था। इसके बाद इंजीनियर्स को एयरपोर्ट पर पहुंचने में डेढ़ घंटे से अधिक लग गया लेकिन इसके बावजूद वह समस्या का जल्द समाधान नहीं कर सके। यह समस्या लगभग चार घंटे बाद पूरी तरह ठीक हुई थी। हालांकि, तब तक सॉफ्टवेयर में समस्या के कारण बहुत सी फ्लाइट्स में रुकावट हो चुकी थी।
इस वजह से एयरलाइंस को प्रभावित ट्रैवलर्स को मुआवजे के तौर पर 12.6 करोड़ डॉलर से अधिक का भुगतान करना पड़ा था। सिविल एविएशन अथॉरिटी (CAA) ने जांच के बाद पॉलिसी से जुड़े 48 सुझाव दिए थे। इनमें व्यस्त अवधि के दौरान सीनियर इंजीनियर्स का ऑन-साइट उपलब्ध होना शामिल था।
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