इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने NDTV Profit को बताया कि इस सेगमेंट में कोई भी कंपनी दबदबे वाली स्थिति में नहीं दिखी है। इसके अलावा इन कंपनियों का बिजनेस मॉडल भी कॉम्पिटिशन का विरोधी नहीं दिखा है। एक सूत्र ने कहा कि CCI ने क्विक कॉमर्स सेगमेंट की बड़ी कंपनियों के खिलाफ शिकायतों की समीक्षा की है और उसे जांच करने का कोई पर्याप्त कारण नहीं मिला है। CCI का मानना है कि यह एक नया सेगमेंट है शुरुआती स्तर पर जांच करने से इनोवेशन को नुकसान हो सकता है।
हाल ही में ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (AICPDF) ने CCI को लिखे एक पत्र में बताया था कि क्विक कॉमर्स से जुड़ी कंपनियां कम प्राइसिंग या भारी डिस्काउंट देकर कस्टमर्स को खींचने का प्रयास कर रही हैं। इसमें CCI से सामान्य डिस्ट्रीब्यूटर्स और रिटेलर्स के हितों की सुरक्षा के लिए उपाय लागू करने का निवेदन किया गया था। बड़ी कंपनियों के लगभग चार लाख रिटेल डिस्ट्रीब्यूटर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले AICPDF ने इस पत्र में कहा था कि इस प्रकार के तरीकों से सामान्य डिस्ट्रीब्यूटर्स और रिटेलर्स के लिए प्रतिस्पर्धा करना बहुत मुश्किल है। इस वर्ष क्विक कॉमर्स से जुड़ी कंपनियों की वार्षिक सेल्स छह अरब डॉलर से अधिक होने की संभावना है। मार्केट रिसर्च फर्म Datum Intelligence के अनुसार, इस मार्केट में जोमाटो के कंट्रोल वाली ब्लिंकिट की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत की है।
ई-कॉमर्स कंपनी Amazon को भी क्विक कॉमर्स सेगमेंट की कंपनियों से कड़ी टक्कर मिल रही है। इससे निपटने के लिए एमेजॉन इस सेगमेंट में एंट्री कर सकती है। इसके लिए कंपनी की नई सर्विस ‘Tez’ लॉन्च करने की तैयारी है। इससे एमेजॉन को अपना बिजनेस बढ़ाने में आसानी हो सकती है। इसके लिए एमेजॉन स्टोर्स तैयार कर रही है। कंपनी ने इस सर्विस का बेंगलुरू में ट्रायल शुरू किया है। एमेजॉन की इस सर्विस में शुरुआत में ग्रॉसरी और प्रति दिन की जरूरतों का सामान शामिल हो सकता है।
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