अमेरिकी सरकार ने बड़ी टेक कंपनियों पर शिकंजा कसा है। इससे पहले इंटरनेट सर्च इंजन Google को चलाने वाली Alphabet, सोशल मीडिया साइट Facebook को कंट्रोल करने वाली Meta Platforms और ई-कॉमर्स कंपनी Amazon के खिलाफ भी कानूनी मामले दर्ज किए गए थे। इस बारे में एटॉर्नी जनरल Merrick Garland ने एक स्टेटमेंट में कहा, “कंपनियों के एंटीट्रस्ट कानूनों का उल्लंघन करने की वजह से कस्टमर्स को अधिक प्राइसेज नहीं चुकाने चाहिए। अगर इस गड़बड़ी को नहीं रोका गया तो स्मार्टफोन मार्केट में एपल की मोनोपॉली मजबूत होती रहेगी।”
जस्टिस डिपार्टमेंट ने बताया कि एक आईफोन के लिए एपल 1,599 डॉलर (लगभग 1,33,200 रुपये) का प्राइस वसूलती है और इस इंडस्ट्री में अन्य कंपनियों की तुलना में अधिक प्रॉफिट कमाती है। इसके अलावा यह सॉफ्टवेयर डिवेलपर्स से लेकर क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनियों जैसे विभिन्न बिजनेस पार्टनर्स से चार्ज लेती है। इससे कस्टमर्स के लिए प्राइसेज अधिक हो जाते हैं और एपल का प्रॉफिट बढ़ता है। एपल का मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग 2.7 लाख करोड़ डॉलर का है। अमेरिकी सरकार की ओर से लगाए गए आरोपों से कंपनी ने इनकार किया है।
एपल पर आरोप है कि यह अपने स्मार्टफोन्स पर मैसेजिंग ऐप्स और स्मार्टवॉचेज के चलने को मुश्किल बनाती है। इसके ऐप स्टोर की गेम्स के लिए स्ट्रीमिंग सर्विसेज से जुड़ी पॉलिसी से कॉम्पिटिटर्स को नुकसान हुआ है। एपल के खिलाफ यूरोप, दक्षिण कोरिया और जापान में भी बिजनेस करने के तरीकों को लेकर जांच हुई है। इसके अलावा Epic Games जैसे राइवल्स ने भी कंपनी को कोर्ट में खींचा है। एपल के बड़े मार्केट्स में शामिल चीन में iPhone की सेल्स इस वर्ष के शुरुआती छह सप्ताहों में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 24 प्रतिशत गिरी है। कंपनी को चीन के Huawei जैसे स्मार्टफोन मेकर्स से कड़ी टक्कर मिल रही है। चीन के स्मार्टफोन मार्केट में एपल की हिस्सेदारी घटकर 15.7 प्रतिशत हो गई है। यह इस मार्केट में चौथे स्थान पर खिसक गई है।
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