कई बार हम छोटी सी रकम बचाने के लिए बड़ी विपत्ति का न्यौता दे देते हैं। ऐसा अक्सर ट्रैफिक नियमों के साथ होता है। कई ट्रैफिक नियम ऐसे होते हैं जिनको हम जानकर भी अनदेखा कर देते हैं। ऐसे ही एक नियम PUC से जुड़ा है। जी हां, PUC यानी पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल। सभी गाड़ी चलाने वालों के लिए ये सर्टिफिकेट लेना बहुत जरूरी है। क्योंकि वैसे तो इसकी चेंकिंग काफी कम होती है, लेकिन मौके पर ये आपके पास नहीं हुआ तब मोटर व्हीकल एक्ट के चलते 10,000 रुपए तक का चालान भी हो सकता है। इसमें ध्यान रखने वाली ये है कि PUC सर्टिफिकेट की कीमत 100 रुपए ही होती है। दिल्ली पुलिस PUC सर्टिफिकेट की लगातर चेंकिंग करती रहती है।
ऐसे बनवाएं PUC सर्टिफिकेट
PUC सर्टिफिकेट की मदद से ये पता चलता है कि आपकी गाड़ी कितना पॉल्युशन कर रही है। दिल्ली-NCR में आपके पास ये सर्टिफिकेट होना बहुत जरूरी है, क्योंकि पॉल्युशन को कंट्रोल करने के लिए ट्रैफिक पुलिस उन गाड़ियों पर कड़ी निगरानी रखती है जो पॉल्युशन फैलाती हैं। PUC सर्टिफिकेट तभी जारी किया जाता है जब PUC सेंटर पर चेकिंग के दौरान गाड़ी तय सीमा के दायरे में पाई जाए। अगर आपकी गाड़ी प्रदूषण करती है, तो गाड़ी की रिपेयरिंग या ट्यूनिंग कराने के लिए कहा जाता है। ट्रांसपोर्ट विभाग ने दिल्ली के कई पेट्रोल पंप और वर्कशॉप पर पॉल्युशन चेकिंग सेंटर की लिस्ट जारी की है। लिस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें।
PUC सर्टिफिकेट को लेकर कानून
एक समय के बाद कार का PUC सर्टिफिकेट रखना अनिवार्य हो जाता है। यदि आपके पास PUC सर्टिफिकेट नहीं है, या फिर एक्सपायर हो चुका है तो मोटर वीइकल्स एक्ट, 1988 की धारा 190(2) के तहत चालान काटा जाता है। इसमें 10 हजार रुपए का जुर्माना या 6 महीने की जेल या फिर दोनों हो सकते हैं। इतना ही नहीं, ट्रांसपोर्ट विभाग अपनी तरफ से PUC सर्टिफिकेट ना होने पर गाड़ी के ओनर का लाइसेंस 3 महीने के लिए सस्पेंड भी कर सकता है। यदि PUC सर्टिफिकेट होने के बाद भी गाड़ी पॉल्युशन ज्यादा कर रही है, तब 7 दिन के अंदर नया PUC सर्टिफिकेट लेना होगा।