नए नियमों का पालन नहीं करने पर फास्टैग को ब्लैकलिस्ट भी किया जा सकता है। इस बदलाव का उद्देश्य टोल प्लाजा पर भीड़ को घटाना और इलेक्ट्रॉनिक टोल पेमेंट्स में लगने वाले समय को न्यूनतम करना है। फास्टैग नियमों में एक बड़ा बदलाव नो युअर कस्टमर (KYC) प्रोसेस को लागू करने का है। नए नियमों के तहत, पांच वर्ष या इससे अधिक अवधि से सक्रिय फास्टैग एकाउंट्स को 1 अगस्त से बदलना होगा। फास्टैग के यूजर्स को उनके एकाउंट के जारी होने की तिथि की पुष्टि करनी होगी और संबंधित अथॉरिटी को इसे बदलने का निवदेन देना होगा। पांच वर्ष या इससे अधिक पुराने फास्टैग एकाउट्स अमान्य हो जाएंगे।
न्यूनतम तीन वर्ष तक पुराने फास्टैग एकाउंट्स के लिए दोबारा KYC प्रोसेस करना होगा। फास्टैग सर्विस उपलब्ध कराने वाली कंपनियों और यूजर्स यह प्रोसेस 31 अक्टूबर तक पूरा कर सकते हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते तो फास्टैग एकाउंट्स को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। एक अन्य बदलाव इस एकाउंट को वाहन और मालिक के फोन नंबर से जोड़ने का है।
इस वर्ष अप्रैल से एक वाहन के लिए एक फास्टैग एकाउंट होना अनिवार्य किया गया था। इससे समान फास्टैग को कई वाहनों के लिए इस्तेमाल करने को रोका जा सकेगा। इसके साथ ही फास्टैग एकाउंट को वाहन के रजिस्ट्रेशन नंबर और चेसिस नंबर के साथ ही वाहन मालिक के फोन नंबर के साथ लिंक करना होगा। इस प्रोसेस को पूरा करने के लिए वाहन के फ्रंट और साइड की फोटो जमा करने की जरूरत होगी। इसके साथ ही 1 अगस्त या इसके बाद नया वाहन खरीदने वालों को तीन महीने के अंदर रजिस्ट्रेशन नंबर को अपडेट करना पड़ेगा। फास्टैग का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने कुछ उपाय किए हैं। इससे टोल चार्ज की वसूली में गड़बड़ी को रोकने के साथ ही वाहन चालकों के लिए सुविधा भी बढ़ेगी।
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