AFP की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला लेनोवो में सेल्समैन रहे 66 वर्षीय रिचर्ड बेकर से जुड़ा है। उनका कहना कि ब्लैडर से जुड़ी बीमारी के कारण वह होटल की लॉबी में यूरीन करने को मजबूर हो गए थे, जिसके बाद कंपनी ने उन्हें जॉब से निकाल दिया।
रिचर्ड ने कंपनी पर आरोप लगाया है कि लेनोवो ने न्यू यॉर्क शहर के मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन किया है। उन्होंने कंपनी पर विकलांगता के आधार पर भेदभाव करने का भी आरोप लगाया है।
घटना इस साल फरवरी की है। रिचर्ड ने अपने केस में दावा किया है कि ऑफिशियल डिनर के बाद वह न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर के पास मौजूद अपने होटल लौट रहे थे। ब्लैडर संबंधी दिक्कत के कारण वह खुद को ज्यादा देर रोक नहीं पाए और होटल की मेन लॉबी से अलग एक फ्लोर पर मौजूद बरामदे में यूरीन किया। रिसर्च का कहना है कि उनके एक को-वर्कर ने उन्हें देख लिया और एचआर को इस बारे में बता दिया।
रिचर्ड का कहना है कि उनकी वजह से वहां किसी को कोई परेशानी नहीं हुई थी। रिचर्ड साल 2016 से ही एक क्रोनिक ब्लैडर कंडीशन से जूझ रहे हैं और यूरोलॉजिस्ट से उनका इलाज चल रहा है। अदालत को बताया गया है कि लेनोवो में उनके साथी और मैनेजर, रिचर्ड की बीमारी के बारे में जानते थे।
केस में कहा गया है कि लेनोवो ने अपने कर्मचारी के साथ कोई सहानुभूति नहीं दिखाई। कुछ ही दिनों में उन्हें नौकरी से निकाल दिया। दिखावे के लिए एक एचआर ‘जांच’ की गई और उनका इंटरव्यू तक नहीं लिया। लेनोवो ने इस मामले में अभी कोई टिप्पणी नहीं की है।