इस देश में रेस हार गईं पेट्रोल कारें, इलेक्ट्रिक गाड़ियों ने मारी बाजी, छोटी सी कंट्री दे रही दुनिया को सीख

By Kashif Hasan

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नई दिल्ली. दुनिया भर में पेट्रोल और डीजल जैसे पारंपरिक ईंधनों पर निर्भरता कम करने की कोशिशें जारी हैं, और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को इस दिशा में एक बेहतर विकल्प माना जा रहा है. कई देशों में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं. भारत में भी सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सब्सिडी प्रदान कर रही है, हालांकि, देश में अभी भी उनकी संख्या सीमित है.

इस बीच, नॉर्वे दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जहां इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या अब पेट्रोल वाहनों से अधिक हो गई है. नॉर्वेजियन रोड फेडरेशन के अनुसार, देश में रजिस्टर्ड 2.8 मिलियन प्राइवेट पैसेंजर कारों में से 7,54,303 पूरी तरह इलेक्ट्रिक हैं, जबकि पेट्रोल वाहनों की संख्या 7,53,905 है. डीजल वाहनों का रजिस्ट्रेशन अब सबसे कम हो गया है. अगस्त 2023 में नए रजिस्टर्ड वाहनों में 94.3 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हुए.

कैसे मिली यह सफलता?
यह सफलता नॉर्वे ने कई साल पहले से ही अपने प्रयासों की नींव रखकर हासिल की है. 1990 के दशक की शुरुआत से ही वहाँ की सरकार और नागरिकों ने समझ लिया था कि इलेक्ट्रिक वाहन भविष्य का हिस्सा हैं. नॉर्वे की संसद ने 2025 तक सभी नई कारों को शून्य-उत्सर्जन (इलेक्ट्रिक या हाइड्रोजन) बनाने का राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित किया. 2022 के अंत तक, रजिस्टर्ड कारों में 20 प्रतिशत से अधिक बैटरी इलेक्ट्रिक थीं, और इस साल बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों की बाजार हिस्सेदारी 79.2 प्रतिशत रही.

इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति जागरूकता
नॉर्वे की 55 लाख की आबादी में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति सरकार और नागरिकों की जागरूकता उल्लेखनीय रही है. सरकार ने EV को प्रोत्साहित करने के लिए कई नई योजनाएँ लागू कीं, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को सस्ती और सुविधाजनक बनाया गया.

अनुकूल टैक्स नीतियां
इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रोत्साहन के लिए सबसे बड़ा बदलाव टैक्स नीतियों में किया गया. नॉर्वे की सरकार ने उच्च उत्सर्जन वाली कारों पर उच्च टैक्स और कम या शून्य उत्सर्जन वाली कारों पर कम टैक्स लगाने का निर्णय लिया. इसके तहत, NOK 500,000 (लगभग 40 लाख रुपये) तक के इलेक्ट्रिक वाहनों को वैट से छूट मिली, जबकि इस राशि से अधिक की कीमत वाले वाहनों पर केवल अतिरिक्त राशि पर 25% वैट लगाया गया.

अन्य लाभ
वैट और इंपोर्ट टैक्स के अलावा, नॉर्वे में 1997 से 2017 तक इलेक्ट्रिक वाहनों को टोल रोड शुल्क से भी छूट दी गई थी. इसके साथ ही, फ्री म्युनिसिपल पार्किंग और बस लेन में एक्सेस जैसी सुविधाओं से लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति आकर्षित किया गया. इस तरह, नॉर्वे ने इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए एक सफल मॉडल स्थापित किया है, जो अन्य देशों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन सकता है.

Tags: Auto News, Electric Vehicles



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Kashif Hasan. Writer and Contributor, 1.5 years Experience. Writing field- Automobiles & Business. etc. contact- kashifhasan@newsdaur.com

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