एयरलाइन ने ऑफिशियल स्टेटमेंट में कहा कि “इससे ग्राहकों को किराए में होने वाले उतार-चढ़ाव और उनके पसंदीदा फ्लाइट ऑप्शन की उपलब्धता के बारे में बिना टेंशन लिए अपना ट्रैवल प्लान में मदद मिलती है। यह फीचर सर्विस की बुकिंग की तारीख से कम से कम 10 दिन दूर के प्लाइट ऑप्शन के लिए उपलब्ध है।”
जो ग्राहक इस फीचर का इस्तेमाल करना चाहते हैं, उन्हें अपनी पसंदीदा फ्लाइट ऑप्शन का चयन करना होगा और बुकिंग फ्लो में फेयर लॉक ऑप्शन का चयन करना होगा। इसके बाद एक नॉन-रिफंडेबल चार्ज का भुगतान करना होगा। ग्राहक बाद में ‘मैनेज बुकिंग’ ऑप्शन का इस्तेमाल करके पूर्व-सिलेक्टेड फेयर पर अपनी बुकिंग को कंफर्म करने के लिए वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर अपनी बुकिंग पर जा सकते हैं।
फेयर लॉक इन चार्ज (टैक्स समेत) पर उपलब्ध है, जो रूट के अनुसार अलग-अलग होता है और प्रति यात्री प्रति टिकट लागू होता है। घरेलू भारतीय फ्लाइट को 500 रुपये में रिजर्व किया जा सकता है। वहीं शॉर्ट हॉल्ट इंटरनेशनल फ्लाइट भारत से जाने पर 850 रुपये और भारत में आने पर 10$ में रिजर्व किया जा सकता है। इसके अलाव लॉन्ग हॉल्ट इंटरनेशनल फ्लाइट भारत से जाने पर 1500 रुपये और भारत में आने पर 18$ में रिजर्व कर सकते हैं।
हाल ही में दिल्ली-सैन फ्रांसिस्को फ्लाइट में 20 घंटे की देरी के बाद एविएशन मिनिस्ट्री ने एयर इंडिया को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। गुरुवार को फ्लाइट में देरी हुई क्योंकि पैसेंजर को राजधानी की भीषण गर्मी में बिना एयर कंडीशनिंग के विमान के अंदर बैठाना पड़ा। उनमें से कुछ कथित तौर पर गर्मी में बेहोश हो गए, जबकि अन्य ने उतरने की अनुमति देने की गुहार लगाई थी। वर्तमान में एयर इंडिया नॉर्थ अमेरिका के लिए 51 वीकली फ्लाइट ऑपरेट करती है, जबकि प्राइवेटाइजेशन से पहले यह संख्या 33 थी।
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