डिजिटल युग में सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स ने हमारे जीवन को गहरे रूप में प्रभावित किया है। इनमें Instagram Reels और YouTube Shorts का नाम प्रमुखता से आता है। इन प्लेटफ़ॉर्म्स ने मनोरंजन की दुनिया में एक नई क्रांति ला दी है, जहां हर किसी को अपनी पसंद का कंटेंट तुरंत और आसानी से उपलब्ध हो जाता है। ये दोनों ही प्लेटफ़ॉर्म्स छोटे, सजीव और दिलचस्प वीडियो कंटेंट प्रस्तुत करते हैं जो यूज़र्स को घंटों तक बाँधे रख सकते हैं। परंतु सवाल यह उठता है कि इन प्लेटफ़ॉर्म्स के एल्गोरिथम में ऐसा क्या है जो सबको लग जाती है लत?
एल्गोरिथम किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का हृदय होता है। यह यूज़र्स के व्यवहार, उनकी पसंद-नापसंद, और अन्य डेटा पॉइंट्स का विश्लेषण करता है और उसी आधार पर उन्हें कंटेंट प्रस्तुत करता है। Instagram Reels और YouTube Shorts के एल्गोरिथम इस मामले में अत्यंत प्रभावी और सटीक हैं। आइए विस्तार से समझें कि इन एल्गोरिथम में ऐसा क्या खास है:
1. व्यक्तिगत सिफारिशें (Personalized Recommendations): एल्गोरिथम यूज़र्स की पसंद और व्यवहार को समझने के लिए विभिन्न संकेतकों का उपयोग करते हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं:
देखने का समय: कौन से वीडियो यूज़र ने पूरा देखा और किसे बीच में छोड़ दिया।
लाइक्स और कमेंट्स: यूज़र किन वीडियोस को लाइक और कमेंट करता है।
शेयरिंग: कौन से वीडियो यूज़र दूसरों के साथ साझा करता है।
इन सभी डेटा पॉइंट्स का उपयोग कर एल्गोरिथम ऐसे वीडियो प्रस्तुत करता है जो यूज़र को सबसे ज्यादा पसंद आ सकते हैं। इससे यूज़र लगातार नए और रोचक वीडियो देखता रहता है, और उसकी लत लग जाती है।
2. नॉन-लिनियर स्क्रॉलिंग (Non-Linear Scrolling): Instagram Reels और YouTube Shorts में वीडियो एक के बाद एक बिना किसी रुकावट के प्रस्तुत किए जाते हैं। यह नॉन-लिनियर स्क्रॉलिंग प्रणाली यूज़र को अगले वीडियो के लिए उत्सुक बनाती है। जैसे ही एक वीडियो समाप्त होता है, तुरंत ही अगला वीडियो चालू हो जाता है, जिससे यूज़र को बाहर निकलने का समय ही नहीं मिलता।
3. छोटे और प्रभावी वीडियो (Short and Impactful Videos): Instagram Reels और YouTube Shorts के वीडियो 15 सेकंड से लेकर 60 सेकंड तक के होते हैं। इन छोटे वीडियो में कंटेंट बेहद सजीव और केंद्रित होता है। यह छोटा समय-सीमा यूज़र को बार-बार वीडियो देखने के लिए प्रेरित करता है, क्योंकि इसे देखने में अधिक समय नहीं लगता।
एल्गोरिथम का मनोवैज्ञानिक प्रभाव
एल्गोरिथम सिर्फ़ डेटा विश्लेषण का खेल नहीं है, बल्कि इसका गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी होता है। आइए देखें कैसे:
1. डोपामाइन रिलीज़ (Dopamine Release): जब यूज़र कोई नया और पसंदीदा वीडियो देखता है, तो उसके मस्तिष्क में डोपामाइन रिलीज़ होता है। यह एक रासायनिक प्रतिक्रिया है जो खुशी और संतोष का अनुभव कराती है। हर बार जब यूज़र नया वीडियो देखता है और उसे पसंद आता है, तो यह प्रतिक्रिया दोहराई जाती है। यह चक्र यूज़र को वीडियो देखने की लत लगा देता है।
2. फोमो (Fear of Missing Out): यूज़र को हमेशा यह डर रहता है कि वह कुछ महत्वपूर्ण या रोचक मिस न कर दे। यह फोमो (Fear of Missing Out) का प्रभाव यूज़र को लगातार वीडियो स्क्रॉल करने के लिए प्रेरित करता है। उसे लगता है कि अगला वीडियो और भी ज्यादा रोचक होगा।
3. सामाजिक स्वीकृति (Social Validation): लाइक्स, कमेंट्स और शेयरिंग का सिस्टम यूज़र को सामाजिक स्वीकृति और मान्यता का अनुभव कराता है। यूज़र को यह महसूस होता है कि उसके पसंद और विचार महत्वपूर्ण हैं। यह भावना उसे लगातार नए वीडियो देखने और प्रतिक्रिया देने के लिए प्रेरित करती है।
एल्गोरिथम के तकनीकी पहलू
1. मशीन लर्निंग (Machine Learning): Instagram और YouTube दोनों ही प्लेटफ़ॉर्म्स अपने एल्गोरिथम को मशीन लर्निंग मॉडल्स के माध्यम से लगातार सुधारते रहते हैं। ये मॉडल्स यूज़र्स के व्यवहार को सीखते हैं और उसी के अनुसार वीडियो प्रस्तुत करते हैं। समय के साथ, ये मॉडल्स अधिक सटीक और व्यक्तिगत सिफारिशें देने में सक्षम हो जाते हैं।
2. डेटा एनालिटिक्स (Data Analytics): डेटा एनालिटिक्स की सहायता से एल्गोरिथम यूज़र्स के सभी इंटरैक्शन का विश्लेषण करता है। इसमें देखा गया वीडियो, सर्च हिस्ट्री, और अन्य गतिविधियाँ शामिल होती हैं। यह डेटा एनालिटिक्स एल्गोरिथम को यूज़र्स की पसंद-नापसंद को समझने में मदद करती है और उसी आधार पर सिफारिशें प्रस्तुत करती है।
3. नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (Natural Language Processing – NLP): NLP तकनीक की मदद से एल्गोरिथम वीडियो के विवरण, हैशटैग्स, और कमेंट्स का विश्लेषण करता है। यह तकनीक वीडियो कंटेंट की प्रकृति और यूज़र की प्रतिक्रिया को समझने में मदद करती है। इससे एल्गोरिथम को अधिक सटीक सिफारिशें देने में मदद मिलती है।
Instagram Reels और YouTube Shorts के एल्गोरिथम अत्यंत प्रभावी और सटीक हैं। ये एल्गोरिथम यूज़र्स के व्यवहार और पसंद-नापसंद को गहराई से समझते हैं और उसी आधार पर वीडियो प्रस्तुत करते हैं। इन प्लेटफ़ॉर्म्स की नॉन-लिनियर स्क्रॉलिंग प्रणाली, छोटे और प्रभावी वीडियो, और मनोवैज्ञानिक प्रभाव यूज़र्स को घंटों तक बांधे रखते हैं। इसके अलावा, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स, और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग जैसी तकनीकें इन एल्गोरिथम को और भी सटीक और प्रभावी बनाती हैं। इन्हीं कारणों से Instagram Reels और YouTube Shorts यूज़र्स को इतनी जल्दी और गहरे से लत लगा देते हैं।
– अनिमेष शर्मा